सूचना विभाग ने 11 नवनियुक्त जिला सूचना अधिकारियों को तैनाती देते हुए 3 जिला सूचना अधिकारियों को स्थानांतरित किया है।
बता दें की जिन 3 जिला सूचना अधिकारियों को जनपद से हटाकर अन्य जगह स्थानांतरित किया गया है उनमें से एक का उसी के जिलाधिकारी से खींचतान का दौर चल रहा था। खींचतान भी ऐसी की जिलाधिकारी ने उनके विरुद्ध छप रही खबर का ठीकरा भी उसी जनपद के जिला सूचना अधिकारी के मत्थे फोड़ दिया था।
खींचतान इस कदर तक पंहुच गयी कि उक्त जिलाधिकारी ने SDM से जांच करवाकर सूचना मुख्यालय को विभागीय कार्यवाई का पत्र लिख उस जिला सूचना अधिकारी की जिम्मेदारी तय करने के लिए कह दिया था। पत्र भी इस मूर्खतापूर्ण तरीके के साथ लिखा गया कि कोई आम आदमी भी हस दें। उस जनपद के जिलाधिकारी ने अखबारों की कतरन लगा कर सूचना महानिदेशालय को पत्र लिखा कि उनका जिला सूचना अधिकारी उनके विरुद्ध छप रही खबर को छपने से नहीं रोक पा रहा है।
उक्त पत्र इस लिए भी हास्यास्पद है क्योंकि आतिथि तक सिर्फ बोल चाल में कही जानी वाली बात कि “अनोचला की खबर छपने से रोकी जा रही है” वह बात पहली बार उत्तराखंड में दस्तावेजों तक में आ गयी। मामला का संज्ञान लेते हुए प्रकरण का निस्तारण कर अब सूचना विभाग ने उस जिला सूचना अधिकारी की नियुक्ति अहम पद में करते हुए उसे मौजूदा स्थान से कार्यमुक्त कर दिया है।
विभागीय जानकार बताते हैं कि जिला सूचना अधिकारी का कर्तव्य सरकार की योजना एवं जिला स्तरीय अधिकारियों के कामकाज व पहल को आम जग तक पहुंचाने का है न कि किसी तरह की खबरों को दबाने का है। इस तरह प्रकरण उत्तराखंड के इतिहास में पहली बार देखने को मिला है।


Editor