CM धामी व बलूनी – त्रिवेंद्र खेमे में दरार डालने की कोशिशें हुई तेज, षड्यंत्रकारियों व अफवाह फैलाने वालों पर पुलिस महकमा करेगा कार्यवाई !!

दिनांक 22 जुलाई को एक निजी चैनल के सोशल मीडिया पृष्ठ पर त्रिवेन्द्र सिंह रावत, पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तराखण्ड/ वर्तमान सांसद हरिद्वार एवं अनिल बलूनी, सांसद पौड़ी गढ़वाल की Y+ श्रेणी की सुरक्षा हटाये जाने सम्बन्धी पोस्ट प्रसारित की गयी। उक्त पोस्ट प्रसारित होते ही षड्यंत्रकारियों व अफवाह फैलाने वालों द्वारा CM धामी व बलूनी – त्रिवेंद्र खेमे में दरार डालने का प्रयास किया गया।

पोस्ट की गंभीरता देखते हुए पुलिस महकमा तुरंत एक्टिव हुआ व उक्त प्रकरण का खंडन कर डाला। पुलिस महकमे के मुख्य प्रवक्ता ने बताया गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा निर्दिष्ट निर्देशों के अनुसार किसी महानुभाव/व्यक्ति को जीवन भय के आधार पर सुरक्षा श्रेणी/सुरक्षा प्रदान की जाती है। महानुभावों को प्रदत्त सुरक्षा की प्रत्येक 06 माह में सुरक्षा समीक्षा कराये जाने का प्रावधान है। वर्तमान में शासन/पुलिस मुख्यालय स्तर पर उक्त महानुभावों की सुरक्षा को हटाये जाने को कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

निकट भविष्य में विभिन्न  महानुभावों को प्रदत्त सुरक्षा के सम्बन्ध में राज्य सुरक्षा समिति (SSRC) की बैठक शासन स्तर पर प्रस्तावित है। विभिन्न महानुभावों को सुरक्षा प्रदान किये जाने के सम्बन्ध में जनपदीय जीवन भय आंकलन समिति द्वारा उन्हें व्याप्त खतरों के सम्बन्ध में आंकलन कर आख्या मुख्यालय को प्रेषित की जाती है। तदोपरान्त जनपदीय समिति से  प्राप्त आख्या शासन को प्रेषित की जाती है। जनपदीय समिति की संस्तुति के आधार पर ही सुरक्षा दिये जाने अथवा हटाये जाने के सम्बन्ध में शासन स्तर पर निर्णय लिया जाता है।

पुलिस विभाग के मुख्य प्रवक्ता ने यह भी बताया कि उपरोक्त पोस्ट के साथ सम्बन्धित महानुभावों की सुरक्षा हटाने सम्बन्धी किसी आदेश की प्रति प्रसारित नहीं की गयी है, जिससे प्रतीत होता है कि निजी चैनल के पत्रकार बन्धु को सुरक्षा सम्बन्धी पुलिस प्रक्रिया प्रणाली की जानकारी का नितान्त अभाव है, जिसके फलस्वरुप उनके द्वारा सोशल मीडिया पर उक्त तथ्यहीन/भ्रामक पोस्ट को प्रसारित किया गया है। यदि किसी को सुरक्षा सम्बन्धी मानकों की जानकारी प्राप्त करनी है तो वह यथोचित कारण प्रस्तुत कर किसी भी कार्य दिवस में पुलिस मुख्यालय में उपस्थित होकर जानकारी प्राप्त कर सकता है। महानुभावों के सुरक्षा सम्बन्धी संवेदनशील प्रकरण पर बिना किसी ठोस तथ्य के सोशल मीडिया पर भ्रामक पोस्ट करना विधि विरुद्ध है। झूठी सूचना/अफवाह फैलाने के फलस्वरुप सम्बन्धित के विरुद्ध नियमानुसार वैधानिक कार्यवाही भी अमल में लायी जा सकती  है।