राज्य में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले कोचिंग सेंटरों पर नियंत्रण के लिए राज्य सरकार नीति बनाने जा रही है। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को इसके निर्देश दिए हैं।
कोचिंग सेंटर किसी प्रतियोगी परीक्षा में सफलता की गारंटी के दावे नहीं कर सकेंगे। नियमों का उल्लंघन होने पर न केवल जुर्माना लगाया जाएगा, बल्कि उनके रजिस्ट्रेशन भी रद्द किए जा सकते हैं। उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.धन सिंह रावत ने शनिवार को बताया कि नीति का शुरुआती ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है। विभाग से जुड़े अधिकारियों, शिक्षाविदों, प्रशासनिक अधिकारियों ने इस नीति को राज्य में लागू करने पर सहमति दी है। अधिनियम को उत्तराखंड में भी लागू करने पर सहमति जताई है। शिक्षा मंत्री ने उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ इस विषय पर विस्तार से चर्चा की। मंत्री ने कहा कि कोचिंग सेंटर संचालकों से भी संवाद करते हुए सुझाव लिए जाएंगे।
राज्य में निजी कोचिंग सेंटरों के लिए रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा। इसके जिला स्तर पर रजिस्ट्रेशन अधिकारी नियुक्त किया जाएगा। कोचिंग सेंटर के साथ छात्र-छात्राओं या संचालक का छात्र-छात्राओं के साथ विवाद होने की स्थिति में सुनवाई और कार्रवाई की प्रक्रिया भी होगी। इसके तहत हर जिले में अपीलीय प्राधिकारी नियुक्त होगा। साथ ही एक नियामक संस्था भी बनाई जाएगी।
यदि कोई छात्र पूरी फीस जमा कराने के बाद कोचिंग को बीच में छोड़ता है तो संस्थान को बाकी फीस 10 दिन में लौटानी होगी। छात्रावास और मेस फीस भी लौटानी होगी। हर पाठ्यक्रम के लिए फीस भी तय होगी और संचालक को उसकी रसीद भी छात्र को देनी होगी। फीस को कोर्स के बीच में नहीं बढ़ाया जाएगा। छात्रों की समस्याओं के समाधान के लिए सेंटर में समिति का गठन भी करना होगा।
कोचिंग सेंटर के लिए तय किए गए मानकों का सख्ती से पालन करना होगा। यदि कोई संचालक नियमों का पालन नहीं करता तो पहली बार अपराध पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। दूसरी बार पकड़े जाने पर एक लाख रुपये जुर्माना देना होगा। इसके बाद नियमों का उल्लंघन करने पर कोचिंग सेंटर का रजिस्ट्रेशन निरस्त कर दिया जाएगा।
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