देहरादून के पटवारियों पर दोहरी जिम्मेदारी के कारण तहसील में अटके पड़े अधिकतर काम, दर दर भटकने को मजबूर हुए दून वासी !!

जमीन की रजिस्ट्री कराई, दाखिल खारिज अटका

विरासत में नहीं चढ़ पा रहा है आश्रितों का नाम

जनपद में 8 महीने बाद भी लेखपालों के अतिरिक्त कार्यक्षेत्र बहिष्कार का कोई रास्ता नहीं निकल पाया है। लेखपालों के दोहरी जिम्मेदारी लेने से इनकार के कारण आम जनता के राजस्व से जुड़े काम नहीं हो पा रहे हैं। दाखिल खारिज, जमीनों की पैमाइश, प्रमाण पत्र से संबंधित कार्य प्रभावित हो रहे हैं।

देहरादून में लेखपालों (राजस्व उप निरीक्षक) के 73 पद हैं। ये पद भी वर्ष 1982 की व्यवस्था के अनुसार स्वीकृत हैं। जबकि तब से राजस्व कार्य का दायरा काफी बढ़ चुका है। इन स्वीकृत पदों पर भी तैनाती का हाल यह है कि सिर्फ 35 पटवारी ही कार्यरत हैं। यानी करीब 50 फीसदी पद खाली हैं।

एक लेखपाल पर दो-दो राजस्व क्षेत्र का चार्ज है। उत्तराखंड लेखपाल संघ के जिला अध्यक्ष संगत सिंह सैनी का कहना है कि दो-दो राजस्व क्षेत्र का चार्ज होने के अलावा अन्य विभागों के काम भी कराए जा रहे हैं। लेखपालों के पास सहायक तक नहीं है, न ही चेनमैन दिए गए हैं।

काम की अधिकता के कारण पिछले साल मई से देहरादून जिले की सभी तहसीलों में लेखपाल दूसरे क्षेत्र का काम नहीं कर रहे हैं। यानी उन्हें जो अतिरिक्त कार्यक्षेत्र दिया गया है, उसका उन्होंने कार्यबहिष्कार कर रखा है। उन्होंने बताया कि लोक सेवा आयोग से चल रही लेखपाल और पटवारी भर्ती की प्रक्रिया में देरी हो रही है। इधर, सरकार मांगों को लेकर गंभीर नहीं है। बाकी मांगें पूरी होने तक कम से कम पीआरडी या उपनल के जरिये एक-एक सहायक ही दे दिया जाएं।

जिलाधिकारी सोनिका ने कहा कि लेखपालों की मांगों के संबंध में शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। लोगों के जरूरी काम प्रभावित न हों, इसके लिए व्यवस्था बनाकर काम कराया जा रहा है।

लेखपालों के कार्यक्षेत्र बदलने से भी राहत नहीं

सदर तहसील में लेखपालों के कार्यक्षेत्र बदलने से भी आम जनता को ज्यादा राहत नहीं मिली। दरअसल, लेखपाल अतिरिक्त चार्ज वाले क्षेत्र का कार्य नहीं कर रहे थे। ऐसे में प्रशासन ने मूल तैनाती से लेखपालों को अतिरिक्त कार्यक्षेत्र में स्थानांतरित कर दिया और पुराने क्षेत्र का अतिरिक्त कार्यभार दे दिया। इस कारण पुराने क्षेत्र में काम ठप हो गया। ये क्षेत्र काफी बड़े भी थे। वहीं नए इलाकों का काम भी अभी पटरी पर नहीं आ पा रहा है।