उत्तराखंड के अल्मोड़ा में जंगल की आग की चपेट में आकर चार वनकर्मियों की माैत के मामले में सीएम धामी ने सख्त रुख अपनाया है। कुमाऊं के तीन अधिकारियों पर गाज गिरी है। चीफ कंजरवेटर नार्थ और डीएफओ अल्मोड़ा को निलंबित कर दिया है। वहीं, सीसीएफ कुमाऊं को अटैच किया है। सीएम धामी के निर्देश के बाद अब विभाग इनपर कार्रवाई करने जा रहा है।
वंही अब इस प्रकरण ने नया रुख भी ले लिया है। जानकारी के अनुसार शासन स्तर पर वनकर्मियों के बीमा न होने पर भी आज बैठकों पर चर्चा होती रही, लेकिन हैरत की बात यह है कि APCCF वित्त निशांत वर्मा के तमाम लिखित व मौखिक आदेशों के बाद भी विभिन्न DFO अपने अपने वनकर्मियों का बीमा न करवा पाए। पोल तब खुली जब कल यह घटनाक्रम हो चुका था और मृतक आश्रितों को सिर्फ मुख्यमंत्री घोषणा अनुसार 10 लाख मिल पाए। यदि DFO द्वारा उक्त वनकर्मियों का बीमा करवाया गया होता तो मृतक परिजनों को सहारे के रूप में एक अधिक धनराशि मिल पाती।
सरकार खुद नही निभा पाई अपना वादा
सहायक वन कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष स्वरूप चंद रमोला के अनुसार घटना बेहद दुखद है, लेकिन उससे भी दुखद ये है कि आग बुझाने के दौरान मारे गए इन वन कर्मियों के परिजनों को सहायता के नाम पर सरकार की ओर से आम लोगों की तरह केवल चार लाख रुपये मुआवजा दिया जाएगा। जबकि ड्यूटी के दौरान मौत पर पुलिसकर्मियों के समान 15 लाख के मुआवजे की मांग पिछले करीब चार साल से चल रही है। दो-दो सीएम और दो-दो वन मंत्री इसकी घोषणा खुले मंचों से कर चुके हैं, लेकिन आज तक इस पर अमल नहीं हो पाया।
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