जहां एक तरफ कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में हुए अवैध पातन व अवैध निर्माण प्रकरण पर CBI तेजी व गंभीरता से जांच कर रही है तो वंही अब इस प्रकरण में पिछले वर्ष की विभागीय जांच रिपोर्ट सार्वजनिक हो जाने से प्रकरण की नई परतें भी खुलने लगी है।
बता दें कि उक्त जांच सेवानिवृत्त IFS व तत्कालीन प्रमुख वन संरक्षक वन पंचायत ज्योत्सना सितलिंग द्वारा की गई थी। शासन द्वारा ज्योत्सना को जबर सिंह सुहाग पर लगे आरोपों की जांच हेतु जांच अधिकारी नामित किया गया था। उक्त जांच में ज्योत्सना ने एक तरफ जबर सिंह सुहाग की जांच तो की ही लेकिन साथ ही साथ प्रकरण में शामिल अन्य वन अधिकारियों की भी जिम्मेदारी तय करते हुए उन्हें भी कट गहरे में खड़ा कर दिया।
करीब 1200 पन्नो की इस जांच रिपोर्ट को वर्ष 2023 के अप्रैल माह में ज्योत्सना ने शासन के सुपर्द कर दिया था, लेकिन शासन द्वारा आतिथि इस जांच रिपोर्ट को दबाया हुआ है। उक्त जांच रिपोर्ट अब चर्चा में व प्रकाश में तब आयी है जब हाल ही में CBI ने इस जांच रिपोर्ट को अपने कब्जे में लेकर रिपोर्ट का अध्ययन शुरू किया।
तत्कालीन राहुल के पत्र पाए गए Back Dated
ज्योत्सना सितलिंग ने अपनी सम्पूर्ण जांच का केंद्र तत्कालीन डायरेक्टर कॉर्बेट राहुल द्वारा जारी किए गए 8 पत्रों पर रखा। उक्त 8 पत्र इस लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि तत्कालीन निदेशक कॉर्बेट के अनुसार उन्होंने समस्त अनिमितताओं की सूचना समय समय पर उच्च अधिकारियों दी थी व निचले अधिकारियों से जवाब तलब किया था, लेकिन पत्रों पर उच्च अधिकारियों द्वारा कोई भी कार्यवाई नही की गई।
जांच रिपोर्ट के अनुसार राहुल द्वारा जारी किए गए 8 पत्रों में से कोई भी पत्र तत्कालीन प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव, मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक एवं HOFF को डाक से प्राप्त नहीं हुए व ना ही उनके F-7 (इंडेक्स) रजिस्टर में दर्ज मिले। जबकि 2 से 3 पत्र पृष्ठांकित को Email से प्राप्त होने की पुष्टि की गई है
जांच में यह भी बात सामने आई की राहुल द्वारा भेजे गए 8 पत्र में से कॉर्बेट कार्यालय के F-6 पंजिका (डाक प्रेषण पंजिका) में 5 पत्र दर्ज ही नही हैं व जो 3 पत्र दर्ज भी हैं वह भी प्रधान सहायक व वरिष्ठ सहायक के अनुपस्थिति में दर्ज किए गए। जिसकी पुष्टि जांच के दौरान दोनों कर्मचारियों अपने अपने बयान के माध्यम से की है।
4 दिन के अवकाश व टूर के बावजूद जारी हो गया पत्र –
8 पत्रों में से एक पत्र की जांच करते हुए जांच अधिकारी ज्योत्सना सितलिंग ने पाया कि तत्कालीन निदेशक राहुल द्वारा एक पत्र 19 जुलाई 2021 को जारी किया गया जबकि 18 जुलाई को रविवार था, 19 जुलाई को निदेशक राहुल ने दिल्ली में CZA की बैठक में शिरकत करी व वंही रात्रि विश्राम किया, 20 जुलाई को वह दिल्ली से रामनगर वापस आते हैं व 21 जुलाई को ईद का अवकाश उपभोग करते हैं। ऐसी परिस्थिति में 19 जुलाई 2021 को पत्र कैसे जारी हो गया व किस प्रकार से F-7 में दर्ज किया गया यह अलग से विस्तृत जांच विषय है।
निदेशक कार्यालय कर्मचारियों द्वारा दो एंट्री के बीच कूटरचित कर दिखा दी गयी रजिस्टर में बैक एंट्री –
8 पत्रों की जांच का निष्कर्ष
जब बैठक में खुली पोल तो बैक डेट में जारी किए गए पत्र –
निदेशक राहुल शासन व वन मुख्यालय को देते रहे झूटी व भ्रामक सूचनाएं –
प्रमुख सचिव वन को भी जांच में घसीटा –
सितलिंग ने जांच रिपोर्ट में लिखा है कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में वर्ष 2020 से 2022 तक कैम्पा परियोजना द्वारा स्वीकृत कार्यों के अतिरिक्त कराये गए अनियमित कार्यों के लिए बतौर नियंत्रक अधिकारी / प्रतिवेदक अधिकारी के रूप में तत्कालीन प्रमुख सचिव वन एवं पर्यावरण जिम्मेदार है क्योंकि उनके द्वारा समय समय पर प्रभावी अनुश्रवण नही किया गया।
सितलिंग ने जांच रिपोर्ट यह भी लिखा है कि पूर्व में भी तत्कालीन प्रमुख सचिव को ज़ू ऑपरेटर के रूप में CZA की शर्तों के उल्लंघन करने, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 38-H(1-A) व चिडीयाघर मान्यता नियम 2013 के प्रावधानों का अनुपालन न करने के एवज में नोटिस जारी किया गया था। लेकिन फिर भी नियम का अनुपालन न हो सका।
अवैध पातन के लिए वन निगम को भी जिम्मेदार ठहराया –
जांच रिपोर्ट के अनुसार पाँखरो टाइगर सफारी में वन निगम द्वारा दो पातन लौट पर कार्य करने के फलस्वरूप तथा अवैध रूप से पेड़ों के पातन करने के लिए वन विकास निगम के संबंधित लॉगिंग अधिकारी व उनके नियंत्रक अधिकारी रीजनल मैनेजर की भी जिम्मेदार ठहराया है।
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