कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में शुक्रवार को बाघ का शव मिला है, वहीं, गंगोलीहाट में एक तेंदुए की मौत हो गई। शव मिलने के बाद से ही वन विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। सीटीआर के कालागढ़ टाइगर रिजर्व (केटीआर) वन प्रभाग में शुक्रवार को एक बाघ की मौत का मामला प्रकाश में आया है। महीने भर में इस क्षेत्र में बाघ की मौत का यह तीसरा मामला है। इससे पूर्व 20 मई को एक बाघिन और 5 मई को एक बाघ की यहां मौत हो चुकी है।
केटीआर के DFO के अनुसार गश्ती दल को सोना नदी (मोरघट्टी) रेंज की कालू शहीद पश्चिमी बीट में एक बाघ जमीन पर लेटा नजर आया। काफी देर तक उसकी निगरानी की गई। जब बाघ की कोई हलचल नहीं हुई तो गश्ती दल ने नजदीक जाकर देखा तो वह मरा हुआ था। उनकी ओर से आला अधिकारियों को सूचना दी गई। कार्बेट और कोटद्वार से पशु चिकित्सक बुलाकर बाघ के शव का पोस्टमार्टम कर बिसरा सुरक्षित रखवा लिया गया है। बाघ के सभी अंग सुरक्षित हैं। बाघ के शरीर पर दूसरे बाघ के साथ हुए संघर्ष के निशान मिले हैं। प्रथम दृष्टया मौत की वजह आपसी संघर्ष प्रतीत हो रहा है। मृत बाघ नर है, जिसकी उम्र करीब छह से सात साल है।
वन अधिकारियों का कहना है कि बीते पांच मई को इसी क्षेत्र के नलकट्टा में आपसी संघर्ष में एक पांच साल के नर बाघ की मौत हुई थी। वन अधिकारियों को आशंका है कि पांच मई को मारे गए बाघ के साथ हुए संघर्ष में यह बाघ घायल हुआ होगा। जिसे ट्रेस करने का प्रयास चल रहा था। लेकिन यह कहीं दिख नहीं रहा था। इससे पहले बीते 20 मई को सोनानदी के मोरघट्टी व पाखरो क्षेत्र में एक बाघिन की मौत हो चुकी है। तीनों मामलों को वन अधिकारी भले ही स्वाभाविक मौत मान रहे हैं। लेकिन एक माह में बाघ के मरने की तीन घटनाओं से विभाग में हड़कंप मचा है। उधर, केटीआर से सटे कार्बेट के कालागढ़ रेंज में फंदे से बची एक घायल बाघिन का सीटीआर प्रशासन अभी उपचार करा रहा है।
वंही गंगोलीहाट तहसील क्षेत्र के चाक बोरा गांव (राममंदिर) में मादा तेंदुआ मृत अवस्था में मिली है। वन विभाग ने सूचना के बाद पोस्टमार्टम कराकर शव को नष्ट कर दिया। पशु चिकित्सक हिमांशु पांगती और आयुष उनियाल ने बताया कि तेंदुए की मौत लंबे समय तक आपसी संघर्ष के कारण हुई है।
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