उत्तराखंड पुलिस महकमे में इन दिनों खींचतान जोरों शोरों से चल रही है। खींचतान की वजह यह है कि बिना संबंधित अधिकारियों के संज्ञान के ही उत्तराखंड सरकार ने केंद्र सरकार को डेपुटेशन हेतु भेज दिए 8 अधिकारियों के नाम, जबकि इन 8 में से 4 अधिकारी बिल्कुल भी राज्य की सेवा छोड़ कहीं बाहर नही जाना चाहते हैं।
बता दें कि पुलिस मुख्यालय के प्रस्ताव पर 8 अधिकारियों के नाम केंद्रीय प्रतिनियुक्ति हेतु शासन को भेजे गए थे, जिस क्रम में शासन ने भी उक्त नाम मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बाद MHA / गृह मंत्रालय को भेज दिए थे।
इन 8 में से 4 अधिकारी तो केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाना चाहते थे लेकिन बचे 4 कतई ही राज्य से बाहर नही जाना चाहते थे। जब बचे 4 को इस बात की सूचना लगी तो उन्होंने लिखित प्रत्यावेदन देकर महकमे को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति हेतु अनिच्छा जाहिर की, जिस क्रम में कल यानी शनिवार को राज्य सरकार की ओर से MHA को एक और पत्र लिख 4 अधिकारियों का नाम डेपुटेशन से हटाने के लिए कहा गया। लेकिन हैरत की बात यह है कि कल भेजे गए पत्र के बावजूद भी आज MHA ने सभी 8 अधिकारियों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति हेतु तैनाती दे दी है।
MHA द्वारा जारी किए गए आदेश के अनुसार इन अधिकारियों को मिली यह तैनाती –
- नीरू गर्ग को BPR&D
- राजीव स्वरूप को BSF
- मुख्तार मोहसिन को CRPF
- अरुण मोहन जोशी को BSF
- जन्मयजय खंडूरी को NCRB
- सेंथिल अबुदई को CISF
- बरिंदरजीत सिंह को ITBP
- पी रेणुका देवी को CBI
राज्य सरकार के ऊपर निर्भर है निर्णय
इस प्रकरण पर अब राज्य सरकार के विवेक के ऊपर आगामी कार्यवाई निर्भर करती है कि पूर्व में भेजे गए नाम के बाद अब प्रतिनियुक्ति पर न जाने की इच्छा जताने वाले 4 IPS को उत्तराखंड सरकार डेपुटेशन के लिए रिलीव करती है कि नहीं। जानकार बताते हैं कि केंदीय तैनाती में नाम आने के बावजूद भी कोई भी अधिकारी रिलीव न होने के उपरांत या फिर किसी अन्य कारण वश प्रतिनियुक्ति पर नही जाता है तो उक्त IPS प्रतिनियुक्ति हेतु अगले 5 साल के लिए Debar / ब्लैकलिस्ट हो जाता है व यह काला कलंक अधिकारियों की प्रोफाइल पर समस्त सेवा के दौरान रहता है।
वंही अगर यह सभी अधिकारी रिलीव भी हो जाते हैं तो उत्तराखंड पुलिस महकमें में विभिन्न पदों पर अधिकारियों की भारी कमी आगामी दिनों में देखने को मिल सकती है।


Editor