ड्रग कंट्रोल विभाग के दखल के बाद अब दून पुलिस बैकफुट पर, दवा कारोबारियों में भी रोष !!

दून के मेडिकल स्टोरों पर पुलिस की कार्रवाई से प्रदेशभर के केमिस्ट में आक्रोश है। इस पूरे मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए उत्तरांचल औषधि दवा व्यवसाय महासंघ ने हड़ताल की चेतावनी दे दी है।

आज तमाम केमिस्ट असोसिएशन व दवा संघठनो के पदाधिकारी औषधि नियंत्रक से मिले व अपना ज्ञापन सौंप, पुलिस की करवाई को गलत ठहराया।

वंही महानगर कैमिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष नवीन खुराना ने भी बताया कि पुलिस द्वारा मेडिकल स्टोर को बंद कराने का प्रावधान नहीं है। फार्मासिस्ट नहीं है, बिना लाइसेंस के कोई स्टोर चला रहा है तो ड्रग विभाग उन्हें बंद कराए। एसोसिएशन किसी गलत कार्य की पैरवी नहीं करता। यदि कोई किसी गलत कार्य में भी लिप्त है तो उस पर भी कार्रवाई हो। ड्रग विभाग के इंस्पेक्टर रोजाना निरीक्षण करें और नियमों के तहत कार्रवाई करें। ज्ञापन में यह भी मांग की जाएगी कि जिन पुलिस कर्मियों ने दुकानें बंद कराई, उन पर भी कार्रवाई की जाए।

मीडिया स्टंट या खानापूर्ति; बन्द कराई 60 दुकान अगले ही दिन खुल गयी

1 अक्टूबर को देहरादून पुलिस द्वारा अभियान चला जनपद की 500 केमिस्ट / दवा दुकानों का औचक निरीक्षण किया गया था व उनमे से 60 दुकानों को बंद करवाया गया था, जो अगके दिन ही खुल गयी थी। अब यह कार्रवाई महज एक मीडिया स्टंट व खानापूर्ति प्रतीत हो रही है। दरअसल हाल ही में पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्ता के जारी किए गए पत्र में दिल्ली हाईकोर्ट के एक आदेश का हवाला दिया गया था आदेश में कहा गया है की औषधि एवं प्रसाधन अधिनियम 1940 की धारा 32(1) के अनुसार इस तरह की कार्रवाई का अधिकार सिर्फ औषधि निरीक्षक को है पुलिस को इस एक्ट में FIR करने, अन्वेषण करने गिरफ्तारी करने या अभियोजन संबंधी कोई शक्तियां प्राप्त नहीं है। अब सवाल यह खड़ा होता है कि इस अभियान में औषधि नियंत्रण विभाग को क्यों शामिल नहीं किया गया है ?

वंही उक्त मामले में एसएसपी देहरादून अजय सिंह ने कहा कि अक्सर देखा गया है कि कुछ युवा केमिस्ट के दुकानों से नशीली दवाएं खरीद कर इनका सेवन करते हुए पूर्व में कई बार पकड़े गए हैं, जिसके क्रम में दवा दुकानों को चेक किया गया था। इस अभियान का मकसद किसी दुकानदार का उत्पीड़न करना नही है।