आज जहां एक तरफ सियासी गलियारों से लेकर शासन प्रशासन तक हर जगह हरक सिंह रावत के ठिकानों पर ताबड़तोड़ कार्यवाई की चर्चा होती रही वंही अचानक हुई इस कार्यवाही के पीछे की वजह से अधिकतर लोग अनभिग्य भी थे।
चलिए सभी राज से पर्दा उठाते हुए आपको असल वजह बताई जाए – इस प्रकरण को लेकर शासन प्रशासन तब हरकत में आया जब मुख्य सचिव कार्यालय में हाइकोर्ट के चीफ स्टैंडिंग काउंसल का 26 अगस्त 2023 को लिखा गया एक पत्र पंहुचता है। उक्त पत्र मुख्य सचिव सहित HOFF, प्रमुख वन सचिव सहित 11 अधिकारियों को भेजा गया।
पत्र की गंभीरता इतनी कि पढ़ते ही सभी सकते में आ गए व शासन में बैठकों का दौर शुरू हो गया।
चीफ स्टैंडिंग काउंसल के द्वारा लिखे पत्र के अनुसार उन्होंने शासन को बताया है कि किस प्रकार नैनिताल हाइकोर्ट ने सख्त लहजे में मौखिक रूप से सरकार से पूछा है कि हरक सिंह रावत पर कॉर्बेट प्रकरण में अभी तक क्या कार्यवाई हुई है।
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चीफ स्टैंडिंग काउंसिल द्वारा पत्र में यह भी लिखा गया है कि नैनीताल हाई कोर्ट ने हरक सिंह रावत पर अभी तक कार्रवाई न होने पर भी नाराजगी जताई है व इस केस की अगली तारीख यानी 1 सितंबर 2023 को सरकार अपना पक्ष रखते हुए हरक सिंह रावत पर अभी तक हुई कार्रवाई की जानकारी के बारे में बताएं, अन्यथा नैनीताल हाईकोर्ट उक्त प्रकरण की जांच सीबीआई से करवाने पर विचार करेगा।
DOON MIRROR को मिले इस पत्र को पढ़ कर यही ज्ञात होता है कि हाई कोर्ट की अगली तारीख यानी 1 सितम्बर 2023 से पहले सरकार ने अपना पक्ष मजबूत रखने व CBI की जांच से बचने के लिए यह कार्यवाई की है।
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