विशेषज्ञों के अनुसार उत्तराखंड के इन आठ शहरों पर भी धंसने का खतरा !!

जोशीमठ के साथ उत्तराखंड के आठ शहरों में भू-धंसाव हो रहा है। हालांकि अभी इन शहरों में जोशीमठ के मुकाबले प्रभाव कम है। राज्य के तीन शहरों पर भूस्खलन अथवा भू-कटाव का संकट मंडरा रहा है। कुमाऊं विवि भूगोल विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. पीसी तिवारी के शोध में सामने आया कि प्रदेश की 11 फीसदी आबादी असुरक्षित क्षेत्र में रह रही है। इसमें 30 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं। पिछले बीस साल में भू-स्खलन के लिहाज से अति संवेदनशील क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की संख्या 15 प्रतिशत बढ़ी है।

नगरीकरण के प्रभाव पर शोध करने वाले प्रो. तिवारी ने हिन्दुस्तान से विशेष बातचीत में बताया कि हिमालय विश्व की सबसे अधिक घनी आबादी वाली पर्वतश्रृंखला है। लेकिन हिमालयी राज्यों में उत्तराखंड में सबसे अधिक तेजी से नगरीकरण हुआ है। हिमालयी राज्यों के नगरों में जहां 26 प्रतिशत लोग रह रहे हैं, जबकि उत्तराखंड का यह आंकड़ा 30 प्रतिशत है। राज्य सरकार ने 94 नगरों को नगर घोषित किया तथा पिछले दिनों 12 नए नगर बनाए जाने पर सहमति बनी है। जबकि प्रदेश में बिना घोषित किए गए नगरों की संख्या पांच सौ से अधिक है। कहा कि ठोस निति न होकर भूमि उपयोग के लिए भौगोलिक परिस्थितियों को दरकिनार किया गया है।

यहां हो रहा भू-धंसाव

मसूरी, नैनीताल, उत्तरकाशी के भटवाड़ी, मुनस्यारी, चंपावत के पूर्णागिरी में भी भू-धंसाव हो रहा है। गोपेश्वर, कर्णप्रयाग व श्रीनगर खतरे से खाली नहीं हैं