मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (MDDA) क्षेत्र में प्रस्तावित आवासीय भवनों का मानचित्र स्वीकृत करने को लेकर व्यवस्था में बदलाव किया गया है। अब एमडीडीए के अवर अभियंताओं को सहायक अभियंताओं से जमीन को लेकर किसी भी प्रकार का विवाद नहीं है, इसका प्रमाणपत्र लेना होगा।
सहायक अभियंताओं की ओर से प्रमाणपत्र देने के बाद ही भवनों के मानचित्र स्वीकृत किए जाएंगे। प्राधिकरण उपाध्यक्ष बीके संत की ओर से कई इलाकों में विवादित जमीनों पर आवासीय भवनों के मानचित्र स्वीकृत होने के चलते उपजे विवादों को देखते हुए नई व्यवस्था लागू की गई है।
साथ ही प्राधिकरण उपाध्यक्ष ने यह व्यवस्था भी लागू कर दी है कि भवन स्वामियों ने बिना मानचित्र स्वीकृति के निर्माण किए हैं तो कंपाउंडिंग शुल्क जमा कराकर नक्शा पास होने के बाद तत्काल इसकी जानकारी वाद लिपिक को देनी होगी। ताकि ऐसे भवनों को मुकदमों की सूची से हटाया जा सके।
उपाध्यक्ष बीके संत ने बताया कि प्राधिकरण क्षेत्र में तमाम ऐसे आवासीय भवनों के मानचित्र स्वीकृत कर दिए गए जो विवादित जमीन पर बने हैं। भवनों के बनने के बाद विवाद की स्थिति बन गई और अब तमाम प्रकरणों में एमडीडीए में इनकी सुनवाई हो रही है।
ऐसे में भविष्य में इस तरह की विवाद की स्थिति ना बने, इसलिए नई व्यवस्था लागू की गई है। उन्होंने कहा कि सभी अभियंताओं को इस संबंध में कड़े दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
Editor