पुलिस लाइन में कार्यशाला के दौरान डीजीपी अशोक कुमार ने नाराजगी जताते हुए कहा कि थाना प्रभारी के क्षेत्र में क्या हो रहा, सारी दुनिया जानती है, लेकिन थाना प्रभारी नहीं जानता यह संभव ही नहीं है। डीजीपी ने ड्रग्स पर अंकुश की कार्ययोजना पूछी तो थानेदारों की फौज चुप हो गई। एसओ प्रेमनगर को खड़ा कर सवाल पूछे तो वह खामोश रहे। इसके बाद डीजीपी ने सभी की जिम्मेदारी तय की।
पुलिस लाइन में जिले के सभी 21 थानेदार और विवेचनाधिकारी मौजूद थे। कुछ बीट सिपाहियों को भी बुलाया गया था। डीजीपी ने थाना प्रभारियों से जानना चाहा कि वह ऐसा क्या कर सकते हैं कि क्षेत्र में ड्रग्स का धंधा बंद हो जाए। इस पर सभी थाना प्रभारी खामोश रहे फिर डीजीपी ने एसओ प्रेमनगर से सवाल दागा। पूछा कि प्रेमनगर की सबसे ज्यादा शिकायतें रहती हैं। यहां पर कई शिक्षण संस्थान हैं। इनके बाहर ड्रग्स की तस्करी होती है। छात्रों को नशा बेचा जाता है। उन्होंने थाना प्रभारी से पूछा कि उनकी जिम्मेदारी बड़ी है, ऐसे में कार्ययोजना बताओ। इस पर एसओ दीपक कुमार चुप खड़े हो गए।
डीजीपी ने नाराजगी जताते हुए कहा कि जब थानाध्यक्षों व कोतवालों कार्ययोजना ही नहीं पता तो क्यों उन्हें इस पद पर रहने दिया जाए। उन्होंने एसएसपी को कहा कि यदि कोई भविष्य में ऐसी लापरवाही बरतता है तो सख्त कार्रवाई की जाए। डीजीपी ने कहा कि थाना प्रभारी पर नैतिक और सामाजिक जिम्मेदारियां होती हैं। क्षेत्र में हर किसी गतिविधि का पता होता है। इसके लिए थाने में तैनात हर किसी की जिम्मेदारियां भी तय होती हैं, लेकिन कुछ सालों में ड्रग्स तस्करों से मिलीभगत के मामले भी सामने आए हैं। ऐसे में यदि भविष्य में किसी की संलिप्तता दिखी तो उन्हें न केवल सस्पेंड किया जाएगा, बल्कि मुकदमा भी दर्ज किया जाएगा।
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