उत्तराखंड प्रदेश में जिस आबकारी नीति 2025 को प्रदेश का राजस्व बढ़ाने के लक्ष्य से लाया गया था, उसी आबकारी नीति ने उत्तराखंड सरकार के साथ साथ शराब निर्माताओं का करोड़ों का नुकसान कर दिया है। अभी शासन से लेकर शराब निर्माता अभी असमंजस में है कि इस करोड़ों के नुकसान की भरपाई आखिरकार कौन करेगा।
ISWAI (इंटरनेशनल स्पिरिट & वाइन एसोसिएशन ऑफ इंडिया) ने राज्य सरकार को पत्र लिख उत्तराखंड आबकारी नीति 2025 में कुछ खामियों को उजागर किया है। जब प्रकरण शासन पंहुचा आबकारी नीति 2025 की रूप रेखा तैयार करने आने सलाहकारों के हाथ पांव फूल गए। साथ ही साथ शासन में प्रचलित पत्रावली में वित्त विभाग से लेकर न्याय विभाग ने भी अपनी स्पष्ट टिपणी कर आबकारी नीति 2025 के कुछ बिंदुओं को VAT एक्ट के नियमविरुद्ध माना है, जिस क्रम में अब आगामी कैबिनेट में इसे संशोधित करने पर पत्रावली गतिमान है।
आपको आसान भाषा मे समझाएं तो उत्तराखंड की नई आबकारी नीति के तहत आबकारी विभाग व तत्कालीन आबकारी आयुक्त ने कैबिनेट के फैसले का हवाला देते हुए नियमविरुद्ध शराब टैक्स रेट कार्ड में काफी बदलाव कर दिया था, मौजूदा स्तिथि में शराब की उत्पादन मूल्य पर सबसे पहले 12 प्रतिशत का कॉमर्शियल टैक्स (VAT) लगाया जा रहा है उसके उपरांत 2 प्रतिशत का सेस फिर अंत में एक्साइज ड्यूटी, जोकि उत्तराखंड VAT ACT के विरुद्ध है।उत्तराखंड VAT ACT के अनुसार किसी भी वस्तु पर VAT की गणना अंत में समस्त तरह के सेस व शुल्क जोड़ने के बाद की जाती है। एक्साइज ड्यूटी पर VAT व सेस न लगने के कारण उत्तराखंड सरकार को आंशिक राजस्व का नुकसान हुआ है।
बता दें कि इस प्रकरण पर 2 दौर की बैठक मुख्य सचिव की अध्यक्षता में भी हो चुकी है। जिसमे आगामी और ढाई साल के लिए लागू रहने वाली इस आबकारी नीति की खामियों को तुरंत ही दुरस्त करने के निर्देश दिए गए थे। जिससे प्रारंभिक समय में ही नीति में संशोधन कर दिए जाएं जिससे आगे कोई दिक्कत न आ सके।
2025 की आबकारी नीति ने उत्तराखंड VAT ACT के नियम को ही पलीता लगा दिया। आबकारी विभाग ने शराब निर्माताओं को ऐसा फायदा पंहुचाया कि अभी तक राज्य सरकार को अनुमानित 50 करोड़ के करीब का नुकसान पिछले 4 से 5 माह में पहुँचा दिया है। ISWAI ने अपने पत्र में यह भी स्पष्ट किया है कि इस राजस्व नुकसान की भरपाई शराब निर्माता नहीं करेंगे, क्योंकि उन्होंने आबकारी नीति 2025 के अनुसार ही शराब का विक्रय मूल्य तय किया था जिससे आम लोग को शराब तो सस्ती मिली है।
पालिसी ने कर दिया अधिनियम का अधिकरण–
उत्तराखंड शासन के कलाकार अधिकारियों के किस्से आपने अक्सर ही सुने होंगे इस बार तो आबकारी विभाग के तक्लीन अधिकारियों ने ऐसा कर दिखाया जो देशभर में कहीं नही हुआ। नई आबकारी नीति में ऐसे प्रावधान रखे गए जिसने विधानसभा से पारित उत्तराखंड VAT ACT को ही अधिकरण (supersede) करवा दिया।
आगामी दिनों में शराब हो सकती है महंगी–
अब त्रुटि को सही करने की दिशा में आबकारी विभाग, वित्त विभाग के परामर्श से नए टैक्स रेट कार्ड जारी करने का मन बना रहा है, जिसके बाद प्रत्येक शराब की बोतल में 50 से 80 रुपये की बढ़ोतरी होने की आशंका जताई जा रही है।
वंही यह भी माना जा रहा है कि जो अंदाजन 50 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान राज्य को हुआ है उसकी भरपाई भी शराब निर्माताओं की जाएगी। जिस क्रम में आगामी दिनों में शराब निर्माता भी प्रत्येक शराब की लागत मूल्य में बढ़ोतरी कर सकते हैं। जिससे 50 करोड़ रुपये के नुकसान की भरपाई हो सकेगी।
राजस्व का नुकसान करवाने वाले अधिकारियों पर भी हो सकती है कार्यवाई–
शासन में बैठे अधिकारियों ने अब गलती को सुधारने के क्रम में कार्य करना तो शुरू कर दिया है, लेकिन सवाल यह भी है कि क्या तत्कालीन आबकारी आयुक्त पर शासकीय कार्यवाई अमल में लाई जाएगी जिसमें कैबिनेट के फैसले का हवाला देते हुए बिना वित्त विभाग के परामर्श के बगैर वर्ष 2025 के टैक्स रेट कार्ड जारी करवा दिए साथ ही साथ उत्तराखंड VAT ACT को एक पोलिसी से अधिकरण (supersede) करवा दिया।
वंही इस प्रकरण में DOON MIRROR से खास बातचीत में नाम न खोलने की शर्त पर आबकारी विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया है कि प्रदेश में शराब की बिक्री सस्ती होने से प्रदेश में शराब की खपत काफी बढ़ी है जिस कारण से खपत बढ़ने से ही राजस्व का दूसरे मायने में कुछ गुणा फायदा भी हुआ है।


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