हाल ही में आये त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के नतीजों ने भाजपा संगठन से लेकर राज्य सरकार को चौकाने वाले आंकड़े दिखाए हैं। बात करें जनपद देहरादून की तो देहरादून में जिला पंचायत की 30 सीटें है। जारी परिणामों में कांग्रेस समर्थित 16 अधिकृत प्रत्याशियों में से 12 ने जीत दर्ज की है, जबकि कांग्रेस का दावा है कि 4 कांग्रेस पृष्ठभूमि वाले प्रत्याशियों ने भी निर्दलीय के रूप में जीत दर्ज की है। वहीं, भाजपा समर्थित 8 प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है।
देहरादून के 6 ब्लाकों में से भाजपा को सबसे बड़ी मात डोईवाला ब्लॉक से मिली है। डोईवाला ब्लॉक में भाजपा एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं कर पाई है। पांचों सीटों पर या तो कॉंग्रेस ने जीती है या फिर निर्दलीय प्रत्याशियों ने राष्ट्रीय पार्टियों को पराजित कर परचम लहराया है।
भाजपा का गढ़ कहे जाने वाले डोईवाला में करारी हार से पार्टी संघठन काफी नाराज भी है। जहां एक तरफ विधायक से लेकर आला पदाधिकारी चुनाव प्रचार के दौरान विकास कार्यों के नाम गिनवाकर जिला पंचायत प्रत्याशियों के पक्ष में वोट मांगते हुए दिखाई दिए वंही उन्ही कामों से असंतुष्ट होकर वोटरों ने डोईवाला में भाजपा को ही अंत मे ठेंगा दिखा दिया है। डोईवाला ब्लॉक में इस बम्पर हार के बाद से विधायक से लेकर अन्य पार्टी अधिकारियों के कार्यशैली पर भी सवाल उठना लाजमी है।
चर्चा यह भी है कि भाजपा हाई-कमान पंचायत चुनाव के नतीजों का विश्लेषण भी कर रहा है, जिसके आधार पर आगामी 2027 के विधानसभा चुनाव में इस रिपोर्ट कार्ड के आधार पर बड़े बड़े विधायकों के टिकट भी काटे जा सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो आकलन के अनुसार डोईवाला में खराब प्रदर्शन का खामियाजा भी वर्तमान विधायक को उठाना पड़ सकता है।


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