उत्तराखंड में अब अपनी जमीन का भू-उपयोग बदलना एवं भवन का मानचित्र पास करवाना इतना आसान नहीं रह गया है। आवास विभाग ने अब MDDA, HRDA एवं अन्य जिला प्राधिकरणों की असीम शक्तियों को अपने कब्जे में ले लिया है। इसके पीछे की वजह यह बताई गयी है कि विभिन्न प्राधिकरणों द्वारा बड़े स्तर पर भू-उपयोग बदलने एवं बड़े मानचित्र स्वीकृत करने से मास्टर प्लान (महायोजना) का स्वरूप बिगड़ता जा रहा है एवं प्राधिकरण व राज्य सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा था।
गोपन विभाग के सूत्र बताते हैं कि आवास विभाग के इस प्रस्ताव पर पिछली कैबिनेट बैठक में मुहर लग चुकी है, लेकिन अचार संहिता के कारण आदेश एवं अधिसूचना जारी नहीं हो पाई है।
DOON MIRROR को मिली पुष्ट जानकारी के अनुसार आवास विभाग अचार संहिता खत्म होने के तुरंत बाद 3 बड़े शासनादेश जारी करने जा रहा है। जिसमे निम्नलिखित नियमों में संशोधन शामिल है –
भू-उपयोग बदलने के लिए अब चुकानी होगी मोटी रकम
अभी तक के नियम के अनुसार भू-उपयोग बदलने के दौरान आवेदक से डेवेलपमेंट चार्ज के नाम पर कुछ शुल्क लिया जाता था।
●अब इस शुल्क को बढ़ा दिया गया है। नए प्रस्ताव के अनुसार कृषि जमीन को आवसीय या फिर पर्यटन / इको-टूरिज्म भू- उपयोग में बदलने के लिए उस जमीन का कुल सरकारी सर्किल रेट जितना ही शुल्क अदा करना होगा। वंही भूमि को व्यवसायिक भू-उपयोग में बदलने के एवज में अब उस जमीन की कुल सरकारी सर्किल रेट की राशि का 1.5 गुना शुल्क प्राधिकरण द्वारा वसूला जाएगा।
प्राधिकरण एवं UHUDA से हटेगा शिथिलता देने का अधिकार –
अभी तक के शासनादेश के अनुसार भवन निर्माण एवं भू-उपयोग परिवर्तन के न्यूनतम मानकों में शिथलीकरण हेतु 25 तक शिथिलता देने का अधिकार प्राधिकरण के बोर्ड एवं 25 से 50 प्रतिशत तक की शिथिलता का अधिकार उत्तराखंड आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण (UHUDA) के बोर्ड को दिया गया था। इसके अतिरिक्त 50 प्रतिशत से ज्यादा की शिथिलता देने का अधिकार राज्य सरकार / शासन को दिया गया था।
●अब नए प्रस्ताव के अनुसार समस्त तरह के शिथिलता देने का अधिकार शासन (आवास विभाग) को ही रहेगा। प्राधिकरण एवं UHUDA चाह कर भी अब किसी भी न्यूनतम मानक में 1 प्रतिशत का शिथिलीकरण भी नहीं दे पाएगा।
एक जमीन को भागों में बांट कर नहीं करवा पाएंगे भू-उपयोग परिवर्तित-
अभी तक के नियम के अनुसार 4000 से 10 हज़ार वर्ग मीटर तक भू-उपयोग परिवर्तन प्राधिकरण के बोर्ड, 10 हज़ार से 50 हज़ार वर्ग मीटर तक UHUDA के बोर्ड एवं 50 हज़ार वर्ग मीटर से अधिक भूमि का भू-उपयोग परिवर्तन शासन स्तर पर किया जाता है। लेकिन शासन स्तर यह देखा गया है कि बड़ी जमीन का भू-उपयोग प्राधिकरण से बदलने के लिए जमीन को परिवार के सदस्यों के बीच ही बांट कर अलग अलग छोटी भूमि का भू-उपयोग बदलवाया जा रहा है व भू-उपयोग बदल जाने के बाद सभी भागों को पुनः जोड़कर एक ही परियोजना के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।
●इस तरह से आगे नियमों का उलंघन ना हो, इस लिए शासन ने कुछ दिशा निर्देश भी इस संदर्भ में प्राधिकरणों को देने का खाका तैयार किया है।

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