आपराधिक मामलों में 2024 में लागू भारतीय नागरिक संहिता के अनुरूप जांच, साक्ष्यों की श्रृंखला का संकलन डिजिटल स्वरूप में करना अनिवार्य हो गया है। साक्ष्यों को डिजिटल तरीके से संग्रह के लिए राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र की ओर से ई-साक्ष्य ऐप तैयार किया गया है। इस क्रम में अब उत्तराखंड सरकार ने भी “भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 (अधिनियम संख्या 47 वर्ष 2023)” के अंतर्गत e-साक्ष्य मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से डिजिटल साक्ष्य के प्रबंधन को लेकर विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
जिसके तहत प्रत्येक अन्वेषण अधिकारी (IO) को धारा 105, 173, 176, 180, 185, एवं 497 के अंतर्गत ऑडियो-वीडियो और फोटो साक्ष्य e-साक्ष्य मोबाइल एप के माध्यम से रिकॉर्ड करने होंगे।
● डिजिटल प्रमाणपत्र होगा अनिवार्य – अन्वेषण अधिकारी (जांच अधिकारी) को अब e-साक्ष्य एप के माध्यम से भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 63(4)(c) भाग-A के अंतर्गत प्रमाणपत्र जनरेट करना होगा। यह सभी प्रमाणपत्र इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षरित (e-signed) होंगे।
● FIR से लिंक होगा डिजिटल साक्ष्य – अन्वेषण अधिकारी को SID को संबंधित FIR नंबर या सामान्य डायरी (GD) नंबर से लिंक करना अनिवार्य होगा, जो CCTNS पोर्टल से जनरेट किए जाएंगे।
● मैजिस्ट्रेट को भेजे जाएंगे डिजिटल साक्ष्य– इ-साक्ष्य को स्थायी भंडारण (immutable storage) में अपलोड किया जाएगा, जिसे धारा 105 और 185 के तहत मैजिस्ट्रेट को अग्रेषित माना जाएगा।
● कोर्ट में होगी डिजिटल साक्ष्य की सीधी पहुँच– कोर्ट अब अपने अधिकार क्षेत्र के तहत सभी e-साक्ष्य को CIS एप्लिकेशन या e-साक्ष्य पोर्टल (ICJS) के माध्यम से देख और प्रबंधित कर सकेंगे।
● आरोपी और पीड़ित को भी मिल सकेंगे e-साक्ष्य– कोर्ट में आवेदन करने पर कोर्ट के दिशा निर्देशों के क्रम में आरोपी एवं पीड़ित को भी e-साक्ष्य उपलब्ध कराए जाएंगे।


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