आनंद वर्धन के विभाग की तो छोड़िए सेवानिवृत्त राधा रतूड़ी के विभाग भी चल रहे बिना वारिस के, जिस कारण से नहीं हो पा रहे कई अहम निर्णय !!

उत्तराखंड ब्यूरोक्रेसी में पहली बार ऐसा देखने को मिला है कि राज्य सरकार को सेवानिवृत्त हो चुके मुख्य सचिव व नव नियुक्त मुख्य सचिव के विभागों के बंटवारे में भी 1 माह से अधिक का समय लग गया है।

जानकारी के लिए बता दें कि 31 मार्च 2025 को राधा रतूड़ी का सेवाविस्तार कार्यकाल खत्म हो गया था। राधा रतूड़ी मुख्यसचिव रहते हुए भी 3 महत्वपूर्ण कुर्सियों का भी प्रभार देख रही थी। जिसमें चेयरमैन (अध्यक्ष) ऊर्जा निगम, निवेश आयुक्त व स्थानीय आयुक्त शामिल है। यह तीनों ही कुर्सियां इन दिनों बिना अधिकारी के ऑटो-पायलेट मोड पर चल रही है। जिस कारण से कई अहम पत्रावलियां रुकी पड़ी हैं तो कोई अहम निर्णय नहीं हो पा रहे हैं।

जानकारी के लिए बता दें कि ऊर्जा निगमों में चेयरमैन का पद काफी अहम माना जाता है। कई बड़े स्तर के निर्णय चेयरमैन के हस्ताक्षर से किए जाते हैं, लेकिन फिलहाल चेयरमैन न होने के कारण कई अहम फाइलों के ढेर निगमों में लगने लग गए हैं। मजबूरी में निगमों की बोर्ड बैठक तक भी इन दिनों सचिव ऊर्जा की अध्यक्षता के कराई जा रही है, लेकिन बोर्ड बैठक में लिए गए निर्णय चेयरमैन की तैनाती होने तक के लिए स्थगित रख दिए गए हैं। ऊर्जा निगम के साथ साथ निवेश आयुक्त व स्थानीय आयुक्त की कुर्सी खाली होने के कारण वहां भी हालात यूं ही बने हुए हैं।

आनंद वर्धन के विभाग अभी भी उनके पास

मुख्य सचिव नियुक्त होने से पूर्व बतौर ACS रहते हुए आनंद वर्धन कार्मिक एवं सतर्कता, ACS वित्त, जलागम, कृषि उत्पादन आयुक्त, मुख्य परियोजना निदेशक जलागम, अध्यक्ष राजस्व परिषद, अवस्थापना विकास आयुक्त जैसे प्रभार देख रहे थे।

एक माह बीत जाने के बाद भी इन विभागों को नए सचिव / प्रमुख सचिव नहीं मिल पाए हैं। बात करें कार्मिक विभाग की तो इन दिनों हर छोटी व बड़ी फाइल आज भी आनंद वर्धन के स्तर से निस्तारित हो रही है। जलागम विभाग में आनन्द वर्धन ACS के साथ साथ मुख्य परियोजना निदेशक की जिम्मेदारी भी देख रहे थे। दोनों अहम पदों पर किसी की नियुक्ति न होने से भी परियोजना के क्रियान्वयन में दिक्कतें पैदा हो रही है। जलागम विभाग में विशेष सचिव के तौर पर IFS पराग मधुकर धकाते जरूर तैनात हैं, लेकिन विभागीय कार्य बंटवारा न होने के कारण वह कई समय से शासन स्तर पर जलागम की पत्रावलियों से दूर ही हैं।

इसके अतिरिक्त FRDC, अवस्थापना विकास आयुक्त, अध्यक्ष राजस्व परिषद व कृषि उत्पादन आयुक्त की जिम्मेदारी भी आतिथि तक आनन्द वर्धन के कंधों पर ही है जिस कारण से इन विभागों की पत्रावली निस्तारण में भी अनावश्यक समय लग रहा है।

अब देखना होगा कि कितने और दिन राज्य सरकार इसी तरह काम चलाऊ व्यवस्था पर निर्भर होकर इस प्रकार से ही कार्य करती रहेगी व शासन में फाइलों के चट्टे लगते रहेंगे।