उत्तराखंड शासन आज कल न जाने क्यों दंगल का अखाड़ा सा बन गया है। वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा विभिन्न गलत कार्यों हेतु कनिष्ठों पर बनाया जा रहे नाजायज प्रेशर के किस्से अब शासन के हर गलियारे में सुनने को मिल रहे हैं।
इन सभी के बीच अब एक पत्र की चर्चा शासन में खूब हो रही है। उक्त पत्र अपर सचिव ओमकार सिंह ने मुख्य सचिव को लिखा है। उन्होंने अपनी खराब तबियत की दलील देते हुए उन्हें तुरंत मौजूदा विभाग समाज कल्याण से मुक्त करते हुए बाध्य प्रतीक्षा में रखने के लिए कहा है। उन्होंने यह भी कहा है कि उनके सेवानिवृत्त होने तक उन्हें अब कोई भी जिम्मेदारी न दी जाए।
बता दें कि ओमकार सिंह सचिवालय सेवा के चुनिंदा वरिष्ठतम अधिकारियों में से एक है। जिन्हें शासन में सचिवालय का “थिंक टैंक / Think Tank” भी कहा जाता है, वो इस लिए कि ओमकार सिंह जैसे कुछ गिने चुने ही लोग अब सेवा में बचे हैं जो उत्तरप्रदेश के दौर से आतिथि तक महत्वपूर्ण सेक्शनों से लेकर महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों तक में रहे। स्वास्थ्य विभाग हो या गृह व गोपन इन सभी के Act या अधिकतर नीति नियमावली में इन गिने चुने अधिकारियों की बड़ी भूमिका रही है।
सचिवालय में चर्चा यहां तक है कि कुछ वरिष्ठ अधिकारी अपने सचिव से परेशान होकर अपने विभाग बदलवाने व अन्य समस्याओं को लेकर कई बार कार्मिक विभाग से लेकर मुख्य सचिव तक से मिलते हैं लेकिन हर जगह बड़े दरबार का हवाला देकर उन्हें टाल दिया जा रहा है। जिस कारण से कुछ प्रकरण अंत मे विकराल रूप ले लेते हैं।
वंही अब समाज कल्याण जैसे ठंडे व कम कार्य वाले विभाग से भी कोई अधिकारी अगर मुक्त होकर बाध्य प्रतीक्षा में जाना चाहता है तो जरूर कुछ तो हुआ है जो अभी स्पष्ठ नही है व शासन में बैठे उच्च अधिकारियों को भी वह पड़ताल करनी चाहिए कि तबियत असल मे खराब है या फिर कारण कुछ और है।
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