उत्तराखंड में जहां एक तरफ आधुनिक नागरिक पुलिस को तीनों नए कानूनों के साथ काम करने में अभी भी कुछ छोटी बड़ी दिक्कतों का सामना करना पढ़ रहा है वंही दूसरी ओर संसाधनहीन राजस्व पुलिस भी आज कल इन तीनों नए कानूनों भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस), भारतीय साक्ष्य अधिनियम से जूझ रही है।
कारण यह है कि न तो राजस्व पुलिस के पास अपराध की जांच को समुचित उपकरण हैं और न ही उन्हें नए कानूनों के संबंध में कोई प्रशिक्षण ठीक से दिया गया है। ऐसे में राजस्व पुलिस का जिम्मा संभाल रहे पटवारी आज कल समस्त मुकदमे दर्ज कर राजस्व क्षेत्र से लगे पुलिस थाने को ट्रांसफर करवा दे रहे हैं। जिस कारण से इन मामलों की FIR से लेकर चार्जशीट तक ऑफलाइन माध्यम से दर्ज हो रही है। राजस्व क्षेत्र से सटे थाने अपने क्षेत्र के साथ साथ इन दिनों राजस्व क्षेत्र की भी विवेचना कर रहे हैं।
बता दें कि उत्तराखंड में अभी भी छह हजार से अधिक गांव राजस्व पुलिस के पास ही हैं। इनमें अभी लगभग 650 पटवारी राजस्व पुलिस की व्यवस्था को देख रहे हैं। नैनीताल हाइकोर्ट ने समस्त राजस्व क्षेत्रों को रेगुलर पुलिस के हाथ में देने का आदेश जरूर दिया है लेकिन राज्य सरकार अभी प्रथम चरण में सिर्फ कुछ ही गांवों को रेगुलर कर पाई है।
Doon Mirror से बात चीत में राजस्व क्षेत्र के कुछ पटवारियों ने बताया कि न तो उनके पास शस्त्र है न जांच हेतु आधुनिक उपकरण व टेक्नोलॉजी। नए कानून के तहत न ही उनके पास फोरेंसिक सुविधा उपलब्ध है जिस कारण वह आजकल कोई घटनाक्रम होते ही असमंजस में पढ़ जाते हैं कि आगे की कार्यवाई किस कदर की जाए। कुछ पटवारियों का तो यहां तक कहना है कि उनकी सिर्फ एक से दो दिन की ट्रेनिंग करवाई गई और बस नए कानून की हस्त-पुस्तिका थमा दी गयी, जिसके पन्ने आजकल वह दिन रात पलटते रहते हैं।
वंही पटवारी संघ ने राज्य सरकार से अनुरोध किया है कि राजस्व क्षेत्र को जल्द से जल्द सिविल पुलिस को दिया जाए और वहां नागरिक पुलिस से ही अपराधों की जांच कराई जाए।
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