प्रदेश के 2 सबसे महत्वपूर्ण विभाग आपदा व ITDA चल रहे संविदा कर्मचारियों के भरोसे, आज तक नही हो पाई स्थायी नियुक्ति !!

जो पूरे देश के किसी राज्य में न हो सके वह हैरतअंगेज किस्से आपको उत्तराखंड की शासकीय कार्यप्रणाली में सुनने में मिल जाएंगे। ऐसा ही कुछ उत्तराखंड में आपदा व ITDA विभाग में देखने को मिला है। प्रदेश के 2 सबसे महत्वपूर्ण विभाग शतप्रतिशत संविदा कर्मचारियों के बदौलत चल रहे हैं। जिससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि किस तरह संविदा पर रखे कर्मचारी व अधिकारी यहां कामकाज देख रहे होंगे।

बात करें ITDA कि तो यहां डायरेक्टर, एडिशनल डायरेक्टर, वित्त अधिकारी व एक अन्य एक्सपर्ट को छोड़ दें तो यहां समस्त कर्मचारी संविदा पर रखे हुए हैं और यह 4 स्थायी अधिकारी भी शासन से नियुक्त अधिकारी हैं जो हर साल स्थानांतरित कर दिए जाते हैं। ITDA के ढांचे में कुल 45 पद स्वीकृत हैं। जिनपर अभी डेपुटेशन पर एवं संविदा पर कर्मचारी तैनात किए हुए हैं।

आतिथि तक यहां पक्के कर्मचारी तैनात नही किये गए हैं, हाल ही में ITDA में 6 संविदा कर्मचारियों को तैनात करने के दौरान एक मामला भी प्रकाश में आया था, जिसमे एक RTI कार्यकर्ता ने इन 6 पदों पर संविदा तैनाती के दौरान अपनों व खासमखास को नियमविरुद्ध नौकरी देने का भी आरोप लगाया था। जिससे यह अंदाजा  लगाया जा सकता है कि ITDA की जिम्मेदारी किन कमर्चारियों के हाथ में है।

वंही आपदा विभाग भी इसी प्रकार से संविदा कर्मचारियों के बदौलत चल रहा है। विभिन्न जनपदों में तैनात जिला आपदा अधिकारी से लेकर निदेशालय स्तर पर 90 फीसदी पद संविदा से भरे जा रहे हैं।

सरकार की गोपनीयता संविदा कर्मचारियों के हाथ –

सरकार व शासन के अधिकारी दिन प्रतिदिन E-Office के माध्यम से विभिन्न प्रकरणों पर काम करते रहते हैं। उक्त E-Office का एक्सेस ITDA के कर्मचारियों के पास भी रहता है। ITDA से भी E-Office की फाइलों को देखा एवं पढ़ा जा सकता है। सवाल यह खड़ा होता है कि सरकार की गोपनीयता कब तक संविदा कर्मचारियों के हाथ में रहेगी, और वह संविदा कर्मचारी जो आये दिन नौकरी छोड़ अच्छे अवसर की तलाश में रहते हैं।

लापरवाही के दौरान किसकी जिम्मेदारी होगी तय –

अन्य विभागों में जहां स्थायी कर्मचारी तैनात रहते हैं वहां लापरवाही व चूक होने के उपरांत विभागीय कर्मचारी व अधिकारी पर जांच से लेकर, चार्जशीट व दण्ड तक का परिवधान है लेकिन वंही कॉन्ट्रेक्ट ओर रखे गए कर्मचारियों पर इस तरह की कार्यवाई अमल में नही लायी जा सकती है। बस ज्यादा से ज्यादा उनका कॉन्ट्रेक्ट खत्म कर दिया जाता है, जिसके बाद वह कर्मचारी अन्य जगह काम करने लगता है।