DGP पद को लेकर चर्चाओं का बाजार हुआ गर्म, लेकिन आगामी दिनों में कुछ इस प्रकार के समीकरण देखने को मिल सकते हैं

पूर्व डीजीपी अशोक कुमार के सेवानिवृत्त होने के बाद से उत्तराखंड में डीजीपी पद की जिम्मेदारी राज्य सरकार ने आईपीएस अभिनव कुमार के कंधों पर दी है। जिम्मेदारी कार्यवाहक के रूप में जरूर दी गयी थी लेकिन अभिनव की ताबड़तोड़ फैसले व एक्शन के कारण आज तक इस पहलू पर ज्यादा गौर नही किया गया।

बता दें कि अशोक कुमार के रिटायर होते ही राज्य सरकार ने स्थायी DGP की नियुक्ति के लिए 7 ADG का पैनल UPSC भेजा था, महीनों भर कई आपत्तियों को निस्तारण करने के लिए शासन – गृह मंत्रालय – UPSC के बीच पत्राचार चलता रहा लेकिन 10 माह बाद UPSC ने डीपीसी बैठक बुलाकर अपना निर्णय सुना दिया।

UPSC से जारी हुए मिनट्स के अनुसार उत्तराखंड कैडर के आईपीएस अधिकारी दीपम सेठ, पी.वी.के प्रसाद व अमित सिन्हा के नाम का पैनल बनाकर राज्य सरकार को सुपुर्द कर दिया गया। लेकिन उस पैनल में कार्यवाहक डीजीपी अभिनव कुमार का नाम न होना प्रदेश भर में चर्चा का विषय बन गया।

उक्त प्रकरण पर जानकारों की माने तो राज्य सरकार अब अभिनव कुमार का पक्ष रखकर UPSC को रिव्यू डीपीसी संबंधित पत्र भेजने का मन बना रही है। विशिष्ट सूत्रों का कहना है कि अभिनव भी UPSC को अपना प्रतिवेदन देने की तैयारी कर रहे हैं। वंही राज्य सरकार हाईकोर्ट व CAT में लंबित प्रकरण में भी अपना पक्ष रख सकती है जिससे यहां से भी अंतिम निर्णय पर मुहर लग सके।

DOON MIRROR को पड़ताल में पता चला है कि राज्य सरकार अभी इस प्रकरण में कोई जल्दबाजी न दिखाकर व रिव्यू डीपीसी सम्बंधित पत्राचारों का अंतिम निर्णय न आ जाने तक अभिनव को यथावत कार्यवाहक के रूप में रखेगी और यह कार्याहक के रूप में कार्यकाल तब तक चलना तय है, जब तक राज्य सरकार इस व्यवस्था को चलाना चाहती है।

दीपम सेठ की 5 महीने बाद खत्म हो रही प्रतिनियुक्ति – 

आईपीएस दीपम सेठ इस वक्त प्रतिनियुक्ति पर ADG (ADMIN) SSB (शास्त्र सीमा बल) के पद पर तैनात हैं,  उनकी 5 वर्ष की प्रतिनियुक्ति अवधि 14 फरवरी 2025 को समाप्त हो रही है। बता दें कि ADG रैंक पर प्रतिनियुक्ति 2 वर्ष और बढ़ाई जा सकती है। वंही दीपम सेठ की 4 वर्ष की सरकारी सेवा अभी शेष है। जिसको देखते हुए यह माना जा रहा है कि अभी अगले 2 वर्ष का डेपुटेशन एक्सटेंशन काटकर ही दीपम उत्तराखंड लौटेंगे।

एक ही तर्क पर दो निर्णय यह कैसे संभव ?

शासकीय कार्यप्रणाली के जानकार व सेवानिवृत्त अधिकारी बताते हैं कि UPSC ने एक ही तर्क पर दो अलग अलग निर्णय दिए हैं। एक तरफ UPSC ने अभिनव द्वारा कोर्ट से कैडर सम्बंधित विषय पर लिए गए स्टे को न मानकर उनको पैनल पर जगह नही दी है वंही दूसरी ओर उत्तराखंड कैडर के उत्तरप्रदेश में तैनात 3 अधिकारियों द्वारा लिए गए स्टे को मानते हुए उनका नाम उत्तराखंड डीजीपी के पैनल में समलित नहीं किया गया है। जानकार यह भी बताते हैं कि UPSC अगर स्टे को दरकिनार कर रहा है तो फिर 3 के पैनल में कैडर के सीनियर मोस्ट अधिकारी – सफी अहसान रिजवी, दीपेश जुनेजा व अंटोनी देव कुमार के नाम का पैनल में भेजा जाना चाहिए था।