IG गढ़वाल द्वारा इंस्पेक्टर व दारोगाओं की तबादला सूची जारी करने के बाद से मानो देहरादून व हरिद्वार में बैठे मठाधीशों के पैरों से आजकल जमीन खिसकी हुई है। ट्रांसफर रुकवाने के लिए अधिकतर, राजनेताओं की चौखट पर हाजिरी देकर उच्च अधिकारियों को सिफारिश करवा रहे हैं। जिससे अब पुलिस महकमा नाराज हो गया है।
ट्रांसफर एक्ट में किया गया संशोधन
ट्रांसफर रुकवाने व अटैचमेंट की सिफारिशों का अम्बार लगने के बाद से अब PHQ ने ट्रांसफर एक्ट में संशोधन किया है। संशोधन आदेश के अनुसार इंस्पेक्टर व दरोगा रैंक के पुलिसकर्मियों के तबादले रोकने व अटैचमेंट करने के लिए अब मुखिया यानी DGP का अनुमोदन लेना जरूरी होगा। अनुमोदन के दौरान संबंधित इंस्पेक्टर व दरोगा को मुखिया के समक्ष पेश होकर अपनी परेशानी भी बतानी होगी, तब जाकर महकमा स्थानांतरण रोकने व अटैच करने पर निर्णय लेगा। इस संशोधन से पहले तक यह निर्णय रेंज स्तर पर हुआ करते थे।
अटैचमेंट की अवधि भी घटाई गयी
IG कार्मिक अनंत ताकवाले द्वारा जारी किए गए संशोधित आदेश अनुसार अटैचमेंट अवधि को अब 6 + 6 यानी केवल 1 साल का कर दिया गया है। पूर्व में अटैचमेंट अवधि को 2 साल तक खींचा जा सकता था, लेकिन अब ऐसा नही हो पाएगा।
देहरादून में तैनात 1 इंसपेक्टर ने खोले घोड़े
देहरादून से अपना तबादला रुकवाने के देहरादून जनपद में तैनात एक इंसपेक्टर ने आज कल घोड़े खोले हुए हैं। कई वर्षों से मैदानी जनपद में ही तैनात उक्त इंस्पेक्टर पहाड़ न जाने के लिए साम, दाम, दंड, भेद तक अपनाने में माहिर है। अब देखना होगा कि मुखिया के सामने इस इंस्पेक्टर की होशियारी चलती है या फिर इस बार इसको पहाड़ यात्रा करनी ही पड़ेगी।
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