देश में पहली बार भू-तापीय ऊर्जा (जियोथर्मल एनर्जी) से बिजली उत्पादन पर काम शुरू होने जा रहा है। इसके लिए राज्य सरकार व ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन लिमिटेड (ओएनजीसी) जल्द ही एमओयू साइन करेंगे। जल्द ही ओएनजीसी, जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया व अन्य विशेषज्ञों की टीम प्रदेश में अलग-अलग जगहों पर जियोथर्मल एनर्जी की संभावनाएं तलाश करने आएगी।
बता दें कि उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों के गर्म पानी के कुंडों का सर्वे एक टीम पूर्व में ही कर चुकी है जिसके बाद अब उत्तराखंड के इन कुंडों को जिओ थर्मल पॉवर प्लांट के लिए उपयुक्त माना गया है।
जियोथर्मल एनर्जी क्या है ?
जियोथर्मल एनर्जी एक तरह की रिन्यूएबल एनर्जी है जो धरती की सतह के नीचे जुटी ऊष्मा से प्राप्त होती है। यह ऊष्मा धरती के निर्माण और खनिजों के रेडियोएक्टिव डिकम्पोजिशन यानी क्षय से पैदा होती है। सक्रिय जियोथर्मल क्षेत्रों में यह ऊष्मा गर्म पानी या भाप पैदा करती है। इसका इस्तेमाल बिजली पैदा करने की खातिर टरबाइन को चलाने के लिए किया जा सकता है। उसी भाप का इस्तेमाल आगे इमारतों को गर्म करने, खेती करने या गर्म पूलों को पानी देने के लिए किया जा सकता है, जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन सकता है।
जियोथर्मल एनर्जी के क्या फायदे हैं?
क्लीन और रिन्यूएबल: जियोथर्मल एनर्जी जीवाश्म ईंधन की तुलना में न्यूनतम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पैदा करती है। यह एक रिन्यूएबल रिसोर्स है। कारण है कि धरती के भीतर की गर्मी की भरपाई प्राकृतिक प्रक्रियाओं की ओर से लगातार की जाती है। धरती से निकाला गया गर्म पानी उसकी ऊष्मा का इस्तेमाल करने के बाद वापस जलाशय में डाल दिया जाता है।
विश्वसनीय बेसलोड बिजली: पवन और सौर जैसे कुछ अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के उलट जियोथर्मल पावर प्लांट 24/7 काम कर सकते हैं, जो ग्रिड को समर्थन देने के लिए बेसलोड बिजली प्रदान करते हैं।
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