उत्तराखंड के जोशीमठ में जो मंजर देशभर ने देखा, ठीक वैसे ही हालात उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के पास के गांव में देखने को मिल रहे हैं। देहरादून से करीब 100 किलोमीटर दूर खमरोली गांव के तमाम घरों में अचानक से दरारें आनी शुरू हो गई हैं। ये ठीक वैसे ही है जैसे जोशीमठ में हुआ था।
गांववालो का कहना है 23 जुलाई को काफी तेज बारिश हुई थी, जिसके बाद से तमाम घरों में दरारें आनी शुरू हो गईं थीं। ये दरारें कुछ घरों में बहुत ज्यादा हैं, कुछ लोगों के घरों के आँगन धस गए हैं।
बता दें कि जोशीमठ में भी भारी बारिश के बाद घरों में इसी तरह की दरारें आनी शुरू हुईं थीं। वहाँ भी प्रशासन ने शुरुआत में इन दरारों को गंभीरता से नहीं लिया था बाद में जब समस्या बढ़ी तो इससे निपटने में भारी चुनोतियों का सामना करना पड़ा।
खमरोली गांव में करीब 50 परिवार रहते हैं। ज्यादातर घरों में दरारें आ चुकी हैं। खमरोली के प्राथमिक विद्यालय की बाउंड्री वॉल टूट कर गिर चुकी है। स्कूल के अंदर की दीवारें जर्जर हो चुकी हैं। दीवार की दरारें इतनी बढ़ चुकी हैं इन दरारों में से एक छोर से दूसरी छोर की ओर साफ देखा जा सकता है।
खमरोली गांव के रहने वाले दसवीर सिंह तोमर बताते हैं करीब 1 महीने से यहां दरारें आ रही है। पूरे गांव पर खतरा मंडरा रहा है। जब तेज बारिश होती है तब काफी ज्यादा डर लगता है कहीं ये दरारें और ज्यादा बढ़ ना जाए और मकान ना गिर जाए। डर की वजह से रातों को बैठ बैठ कर जाग कर गुजारना पड़ता है। जिला प्रशासन की तरफ से भी तक कोई खास ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
मकानों में दरारें आने के कारण क्या हैं इस बारे में गांव वालों को भी पता नहीं है कि आखिर किस वजह से इतनी दरारें यहां आ रहीं हैं। जिन लोगों ने नए-नए मकान भी बनाए हैं उनके घरों में भी दरारें आ रही हैं। किसी का आंगन बैठ गया तो किसी के मकान का छज्जा गिर गया।
मीडिया में प्रकाशित खबरों के अनुसार जब इस प्रकरण पर जिलाधिकारी देहरादून सोनिका से न्यूज़ एजेंसी PTI ने उनका पक्ष जानना चाहा तो उनके द्वारा कहा गया कि अगले हफ्ते वह खुद इस प्रकरण के बारे में पता करके मीडिया को ब्रीफ करेंगी।
खेर यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि जिला प्रशासन देहरादून इस आपदाग्रस्त गांव को लेकर कितना चिंतित है और भविष्य में इन ग्रामवासियों की कितनी सहायता हो पाती है।

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