नगर निगम के रिकार्ड रूम से करोड़ों रुपये की प्रापर्टी व विवादित जमीनों की फाइलें गायब होने का मामला सामने आया है। फाइलें रिकार्ड रूम के ताले तोड़कर चोरी की गई हैं। बताया जा रहा है कि जहां से फाइलें गायब हुई हैं, वहां पर आठ कर्मचारियों की ड्यूटी रहती है। वहीं 24 घंटे सुरक्षाकर्मी भी तैनात रहता है। पुलिस मामले में संदिग्ध मान रही है। सोमवार को धारा चौकी पुलिस टीम ने रिकार्ड रूम का दौरा कर साक्ष्य भी जुटाए।
जानकारी के अनुसार, सोमवार सुबह जब निगम के रिकार्ड रूम का स्टाफ ड्यूटी पर पहुंचा तो पाया कि वहां के ताले टूटे हुए हैं। स्टाफ जब अंदर दाखिल हुआ तो देखा कि फाइल अनुभाग से संपत्तियों के दाखिल खारिज से जुड़े छह रजिस्टर गायब थे। इन फाइलों में नगर निगम की करोड़ों रुपये की प्रापर्टी और विवादित जमीनों के कागज रखे हुए थे। स्टाफ ने इसकी जानकारी उच्चाधिकारियों को दी। मामला गंभीर होने पर निगम के अधिकारियों ने शहर कोतवाली पुलिस को तहरीर दी।
नगर निगम से इस तरह से फाइलें गायब होने के कारण कई सवाल भी खड़े हो गए हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि जहां से फाइलें गायब हुई, वहां पर एक सुरक्षाकर्मी भी तैनात रहता है। यदि रिकार्ड रूम का ताला तोड़ा गया तो इसकी भनक किसी को भी क्यों नहीं लगी। इसके अलावा चोर ने केवल वही फाइलें कैसे चुराईं, जिनमें नगर निगम की प्रापर्टी के दस्तावेज थे। पुलिस भी यह मान रही है कि यह काम किसी ऐसे व्यक्ति का हो सकता है, जिसे अनुभाग के बारे में पूरी जानकारी थी।
मेयर और नगर आयुक्त ने किसी साजिश की आशंका को देखते हुए पुलिस में तहरीर देकर जांच की मांग उठाई है।
सूत्रों के अनुसार, इन रजिस्टरों में करीब दो हजार संपत्तियों के दाखिल खारिज का ब्योरा है। नगर आयुक्त मनुज गोयल ने कहा कि चोरी को गंभीरता से लिया जा रहा है। पुलिस को तहरीर दी गई है। विभागीय स्तर पर भी जांच की जा रही है।
दून नगर निगम में जरूरत पड़ने पर संपत्तियों के दाखिल खारिज का रिकॉर्ड चेक करने को रजिस्टर से स्थायी रिकॉर्ड की पुष्टि की जाती है। ऐसे में उसे यह पूरा रिकॉर्ड दोबारा तैयार करना पड़ेगा। यदि स्कैन कॉपी नहीं हुई तो फिर संपत्तियों का रिकॉर्ड जुटाने में दिक्कत हो सकती है।
नगर निगम के रिकॉर्ड रूम में 1937 से लेकर अब तक का पूरा लेखा-जोखा रजिस्टरों में दर्ज है। लिहाजा, रिकॉर्ड गायब होना नगर निगम के लिए चिंता की बात है। अगर संपत्तियों का ब्योरा गलत लोगों के हाथ लगा तो इसका दुरुपयोग भी हो सकता है। हालांकि, नगर निगम के लिए राहत की बात यह है कि उसके पास ज्यादातर रजिस्टरों की कॉपी मौजूद है।
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