उत्तकरकाशी में बन कर तैयार हुआ 150 साल पुराना लकड़ी का पुल !!

क्या आप भी रोमांच के शौकीन हैं और एडवेंचर करना आपको भी पसंद है !!

तो यह खबर आपके लिए सुखद साबित होने वाली है। उत्तरकाशी की गर्तांगली मार्ग जिसको दुनिया के सबसे खतरनाक रास्ते में शुमार किया गया है। आखिरकार लंबे समय के इंतजार के बाद रोमांच से भरा रास्ता पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है

इसकी लम्बाई 136 मीटर और चौड़ाई 1.8 मीटर है। प्राचीन समय में इस मार्ग से स्थानीय लोग तिब्बत से व्यापार करते थे और सेना द्वारा सीमा की निगरानी के लिए इस मार्ग का उपयोग किया जाता था !!

नेलांग घाटी में बना 150 साल पुराना लकड़ी का यह पु‍ल टूरिस्‍टों के लिए अब खोल दिया गया है। यह पुल 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद बंद कर दिया गया था !!

इस पुल का निर्माण 150 साल पहले पेशावर से आए पठानों ने किया था और यह पुल 11000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। नीचे देखने पर अनंत खाई नजर आती है और आज भी यह पुल रोमांच से भर देता है।

इस पुल का ऐतिहासिक और रणनीतिक महत्‍व है। एक समय में यह भारत और तिब्‍बत के बीच सीमा पार व्‍यापार का मुख्‍य रास्‍ता था व सबसे पुराना व्यापारिक मार्ग हुआ करता था और यहां से गुड़, मसाले वगैरा भेजे जाते थे। 1975 के बाद पुल को बंद कर दिया गया और अब आखिरकार इसका पुनर्निर्माण कर इस पुल को फिर से एडवेंचर के प्रेमियों के लिए खोल दिया गया है !!

लगभग 11 हजार फीट की ऊंचाई पर बना यह पुल इंजीनियरिंग का नायाब नमूना है व खड़ी चट्टानों को काटकर यह सीढ़ीदार ट्रैक बनाया गया है जो कि लकड़ी से निर्मित है। इंसान की ऐसी कारीगरी और हिम्मत की मिसाल देश के किसी भी अन्य हिस्से में देखने के लिए नहीं मिलती !!

अब सरकार ने इसकी मरम्‍मत करने और मुख्‍य टूरिस्‍ट आकर्षण के रूप में विकस‍ित करने का फैसला किया है। जुलाई में 64 लाख रुपये की लागत से पुनर्निर्माण कार्य पूरा हुआ है। इस पुल से नेलांग घाटी का रोमांचक दृश्य दिखाई देता है !!

मुख्य रूप से उत्तकरकाशी के आखरी 3 जिला अधिकारियों (आई.ए.एस) की मेहनत व कुशल कार्यप्रणाली का नतीजा है कि यह पुल बनकर तैयार हो गया है !!

◆ उत्तरकाशी के तत्कालीन जिलाधिकारी आशीष श्रीवास्तव के कार्यकाल में इस 150 साल पुराने पुल पर शासन-प्रशासन की नजर पड़ी !!

कहा जाता है कि इस पुल की चर्चा 55 वर्ष बाद तब फिरसे होने लगी थी जब उत्तराखंड में मशहूर फोटोग्राफर तिलक सोनी ने इस दुर्गम जगह पर जा कर पुल की तस्वीरे अपने कैमरा में कैद की व तस्वीरें शासन प्रशासन तक पंहुचाई !!

आशीष श्रीवास्तव के कार्यकाल में पुल पुनर्निर्माण कार्य की सिर्फ शुरुआती कागजी ही हो पायी थी !!

◆फिर उत्तरकाशी के अगले जिला अधिकारी डॉ आशीष चौहान के कार्यकाल में इस पुनर्निर्माण कार्य ने काफी रफ्तार पकड़ी !!

उत्तरकाशी के तत्कालीन जिला अधिकारी – डॉ आशीष चौहान

डॉ आशीष चौहान ने इस पुल के पुनर्निर्माण कार्य का बजट रिलीज करवाने, कार्य का टेंडर लगवाने व कार्य शुरू करवाने हेतु काफी मशक्त करी !!

आशीष चौहान ने इस कार्य को प्राथमिकता देते हुए कई बार उत्तरकाशी जिला मुख्यालय कार्यालय से सचिवालय तक कि दौड़ लगाई इस कार्य की पैरवी की !!

फल स्वरूप इस कार्य का बजट रिलीज हुआ व टेंडर तक जारी हो गया !!

रूटीन ट्रांसफर होने के कारण आई.ए.एस आशीष चौहान कार्य शुरू होने से पूर्व ही अपनी नई तैनाती की ओर चल दिए !!

◆ मौजूदा जिलाधिकारी मयूर दीक्षित के कार्यकाल में इस पुल का कार्य मार्च माह में शुरू हुआ व जुलाई में खत्म हुआ !!

यह क्षेत्र वनस्पति और वन्यजीवों के लिहाज से भी काफी समृद्ध है और यहां दुर्लभ पशु जैसे हिम तेंदुआ और ब्लू शीप यानी भरल रहते हैं।

इस ट्रैक के दीदार को गंगोत्री नेशनल पार्क प्रशासन ने शुल्क निर्धारित कर दिया है। पार्क के रेंज अधिकारी प्रताप सिंह पंवार ने बताया कि पार्क क्षेत्र में प्रवेश को जो शुल्क निर्धारित है, वही गर्तांगली के लिए भी रखा गया है। यानी भारतीय पर्यटकों को 150 रुपये और विदेशी पर्यटकों को 600 रुपये के हिसाब से शुल्क देना होगा।

इन बातों का रखें ध्यान

गर्तांगली दुनिया के खतरनाक रास्तों में शुमार है। ऐसे में ट्रैक पर एक बार में अधिकतम दस लोग एक मीटर की दूरी बनाकर चलेंगे।

ट्रैक में झुंड बनाकर आवागमन या फिर बैठना प्रतिबंधित होगा। यहां उछल-कूद जैसे क्रियकलाप भी मना है।

इसके अलावा ट्रैक की रैलिंग से नीचे झांक भी नहीं सकते हैं। ट्रैक की सुरक्षा के दृष्टिगत ट्रैक क्षेत्र में धूमपान करना और अन्य ज्वलनशील पदार्थ ले जाना वर्जित है। यहां भोजन बनाना भी मना है।