अपना तीसरा जन्मदिन मनाने से पूर्व ही धड़ाम से गिर गया बेचारा थानों-बड़ासी फ्लाईओवर !!
लोक निर्माण विभाग (लोनिवि) की कार्यप्रणाली एक बार फिर सवालों के घेरे में है। जिस पुल का निर्माण वर्ष 2018 में किया गया था, उसकी एप्रोच रोड तीन साल से भी कम समय में ध्वस्त हो गई। गनीमत रही कि जिस समय यह घटना हुई, उस समय कोई वाहन पुल से नहीं गुजर रहा था !!
आपको बता दें की तीन वर्ष पूर्व थानों मार्ग पर बड़ासी पुल समेत 3 पुलों का उदघाटन किया गया था !! जिसके बाद यह यह दूसरा मामला सामने आया है कि इन 3 पुलों में से अब दूसरा पुल का भी एक हिस्सा अचानक से धराशाही हो गया है !!
सवाल अभी भी बरकरार है कि क्या यह पुल खुद की इच्छा से गिरा है या किसी नक्सलवादी – आतंकवादी ने बम लगा कर गिराया है ?
आपको यह बात हास्य भले ही लग रही होगी लेकिन पूर्व में भी ऐसे ही कुछ जांचों में दोषी अधिकारी, ठेकेदार या राजनैतिक व्यक्तियों को बचाने के लिए ऐसे मिलते जुलते तर्क तक दिये जाते रहे हैं !!
पूर्व में भी इस रोड पर रायपुर की तरफ वाले पहले पुल की एप्रोच रोड पर भी धंसाव हो गया था। तब तत्कालीन सरकार ने पुल का निरीक्षण कर प्रकरण की जांच बैठाई थी। इसके बाद संबंधित अभियंताओं को निलंबित कर दिया गया था। कुछ समय बाद ही सभी अभियंता बहाल कर दिए गए और जांच में भी लीपापोती कर दी गई। लोनिवि में गुणवत्ता के नाम पर कई दफा जांच की औपचारिकता की जाती रही हैं, मगर ठोस कार्रवाई कभी नहीं की गई।
इस मामले का संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कार्यदायी संस्था नेशनल हाईवे लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता एस.के बिड़ला को तलब किया है और 2 दिन के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट लोक निर्माण के प्रमुख सचिव आर.के सुधांशु को सौंपने के लिए कहा गया है ।।
इस घटना के बाद ब्यूरोक्रेसी में हलचल तेज है, माना जा रहा है कि जांच रिपोर्ट के आधार पर जल्द किसी न किसी व्यक्ति पर गाज गिरना तय है !! अब देखना होगा क्या हर बार की तरह गाज छोटी मछली पर गिरती है या इस बार कुछ बड़े नाम भी इस कड़ी में शामिल होंगे !!
इन पुलों के निर्माण को लेकर लोक निर्माण विभाग के सूत्रों से यह भी बात सामने आई है कि इन्वेस्टर्स समिट के लिए जल्दबाजी में बनाए गए थे यह पुल !!
थानो रोड पर बडासी के पास इस पुल का निर्माण अक्टूबर 2018 में इन्वेस्टर्स समिट शुरू होने से कुछ समय पहले पूरा कर दिया गया था। समिट के लिए पुल का निर्माण पूरा करने के लिए उच्चाधिकारियों का भारी दबाव था। इसके चलते दिन-रात पुल पर निर्माण किया गया। वहीं, एप्रोच रोड पर नौ मीटर तक भरान भी किया गया। इतने गहरे भरान के बाद सतह के नेचुरल कॉम्पैक्शन (प्राकृतिक रूप से सख्त बनाना) के लिए काफी समय चाहिए होता है। जाहिर, है समिट को देखते हुए एप्रोच रोड को इतना समय दिया ही नहीं गया। बताया जा रहा है कि ऊपर से एप्रोच रोड को पक्का तो कर दिया गया, मगर भीतर की मिट्टी कच्ची अवस्था में रह गई। यही कारण है कि एप्रोच रोड इतने कम समय में जवाब दे गई।
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